Sunday, April 29, 2007

' दस्तक'

कोई हमें एकदम भूल जाए
चाहे तो सारे खत जलाए
पर उन हवाओं की तासीर का क्या
जो सदियों तक
हमारे दर्द से सर्द होकर
वक्त बे-वक्त
दस्तक देती रहेगीं
सबके  दिलों पर.

'इश्क़ के अलावा भी'

क्यों मिटा दें खाक़ में खुद को
फ़क़त किसी के अक्स की याद मे,
इश्क़ के अलावा भी
बहुत काम है,
जिसका हिसाब देना है
बन्दे को खुदा केदर पे.

'खामोशी'

खमोशी का भी एक
अलग सुरूर है,
पर ऐसे मे
आपका दिल
आपकी बात सुने.
तो उनका बाद मे
आना भी मंजूर है.
पर इस दिल को
समझाऊं कैसे,
उनकी याद मे
मचलता ज़रूर है.
मैं, मेरा दिल
और ये खामोशी
आपके इन्तज़ार मे हज़ूर है.

' एक यात्रा'

ज़िंदगी
एक अनवरत यात्रा है,
उसकी हर गाली
हर मोड़ पर
एक स्पंदन है.
जिसको महसूस करना ही
जीवन है.
मौत सबकी
एक ही होती है,
किस तरह
तय किया ये सफ़र
वही तेरी मेरी उसकी
अलग बात है.
बस निकल पड़े है
यायावर की तरह
इसमें कुछ सिखने की
क्या बात है.