साथ -साथ
समानान्तर,
हम दरिया के
दो किनारे.
और
वो दरिया
हमें
ज़ुदा सा
साथ रखने की
लहरों से बांधता रहा.
इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी रचनाओं का प्रतिलिप्याधिकार डा.रामजी गिरि के पास सुरक्षित है। इनके पुनर्प्रकाशन हेतु लेखक की लिखित अनुमति आवश्यक है -डा.रामजी गिरि
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