Sunday, December 23, 2007

"गुमनाम"

एक तानाशाह की अजनबी जमीं पर(जहाँ वो तख्ता-पलट के बाद आकर छिपा था)हुई मौत के बाद ये पंक्तियाँ मेरे जेहन में उभरी..

रात वो मर गया
गुमनाम सा कहीं और,
अपनों से भागकर
बनाई थी ये ठौर,
उनकी किस्मत लिखने का
गुमां था उसे कभी...

1 comment:

ritusaroha said...

in one wrd

behtreen!!!!!!!