Sunday, December 9, 2007

"खुदा है कहाँ ?"

ये चंद एक पंक्तियाँ है , जो मैंने त्रिवेणी community पर लिखी थी .....

1.सारी रात आसमाँ पर चलते रहे,
बेशुमार सितारों से मिलते रहे ,

खुदा फिर भी ना मिला।

2.इतनी बेरहमी,बेशर्मी,कत्ले-आम ,
कैसे करे खुदा तेरा एहतराम;

तमाशा क्यों करे है सरे-आम।

6 comments:

shaveta said...

bahut ache

Neelima G said...

Dr Giri,

Use of urdu words is superb in these lines.

Regards,
Neelima

surabhi said...

sari raat aasman par chalte rai....
tri vedni bahut sundar hai

Keerti Vaidya said...

bhoot khoob..fir insaan tamsha karta he hai

Nesh said...

bahut ache

किरण अग्रवाल said...

interesting and honest.