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Sunday, April 29, 2007
'इश्क़ के अलावा भी'
क्यों मिटा दें खाक़ में खुद को फ़क़त किसी के अक्स की याद मे, इश्क़ के अलावा भी बहुत काम है, जिसका हिसाब देना है बन्दे को खुदा केदर पे.
bahut badiya
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