TRUST UR HEART~~~दिल और कविता

इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी रचनाओं का प्रतिलिप्याधिकार डा.रामजी गिरि के पास सुरक्षित है। इनके पुनर्प्रकाशन हेतु लेखक की लिखित अनुमति आवश्यक है -डा.रामजी गिरि

Thursday, May 13, 2010

"जेठ की सुबह"

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1 .मंजिल की ...  ना रही अब  जुस्तजू मुझको.... राह-ए-संगदिल.... आप सा मिल गया है , अब तो... 2 .सुबह की राह्जोई है  रात... मरी...
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Monday, December 28, 2009

"चांदनी के भ्रम में "

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चाँद को अपना समझ.. गलत आवाज़ दे बैठा, चांदनी के भ्रम में. उसके पास भी उधार है वो तो ... सूरज से ले रखी है, इस जनम के लिए.
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Tuesday, August 18, 2009

~"वीसा" की डोर से बंधी~

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वो आई थी एक बार फ़िर , मियाद बढ़वाने मेरे भारत महान में , लोकशाही की साँसों की.... ...
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Monday, December 29, 2008

"उम्मीद की सेंक"

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रात रोज आती ... जोगी का फेरा लगाती, सिरहाने ... सपनो के दीप जलाती, तकिए के पास .... उम्मीद की सेंक सुलगा, नई सुबह की ... आश जगा जाती.
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Friday, July 18, 2008

"लगन "

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चाँदी के तारों-सी लहरे और रेशम-सा मन , भोर का तारा एक जुलाहा सपने बुनने की लगन ...
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Friday, March 14, 2008

"कुछ यूं ही ..."

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1.उन कदमों तले आज सभ्यता कसमसा रही थी, वो पापा के साथ काकटेल पार्टी में जा रही थी.. ---- इन पंक्तियों में मैंने 'बेटी' या 'पिता...
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Wednesday, March 12, 2008

"पकती रही एक रोशनी की आस "

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अंतहीन थी निराशा घुप्प अँधेरे का जाल, नीरवता से कहता रहा दिल का हाल जुगनू पकड़ता रहा सारी रात. व्यथा को सुलगाते आँखों को बहलाते , अगले ही...
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डाॅ रामजी गिरि
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