क्यों मिटा दें खाक़ में खुद को
फ़क़त किसी के अक्स की याद मे,
इश्क़ के अलावा भी
बहुत काम है,
जिसका हिसाब देना है
बन्दे को खुदा केदर पे.
Sunday, April 29, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इस चिट्ठे पर प्रकाशित सभी रचनाओं का प्रतिलिप्याधिकार डा.रामजी गिरि के पास सुरक्षित है। इनके पुनर्प्रकाशन हेतु लेखक की लिखित अनुमति आवश्यक है -डा.रामजी गिरि
has moved to a new address:
Sorry for the inconvenience…
Redirection provided by Blogger to WordPress Migration Service
1 comment:
bahut badiya
Post a Comment