एक दिन कोहरे से गुजरते हुए मैने तुम्हे महसूस किया........
कोहरे से गुजरता हूँ
जैसे तेरी यादों का मंजर
न इसका अन्त है न यादों का,
हर दो कदम पर
दरख्तों-सी तुम,
धुंधली नम हवा की
चादर ओढ़े;
पल-पल होना तुम्हारा
मेरे साथ मेरे पास.
नही निकली जमाने की धूप,
कोहरा ओढ़े तेरी यादों की
सपनों मे रहा दिन भर.
Sunday, July 8, 2007
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19 comments:
from the bottom of the heart likha hai aise mahasus hota hai paDhake.
न इसका अन्त है न यादों का,
i like this line.
good efforts
bahut bahut sundar likha hai aapne ...very nice words
doc.....bahut hi achchi lagi aapki kavita.....sach yaadon ka koi ant nahi.......:)
bahut sundar waah
kafi acchi lines hai..touching~~
keep it up!!!!!!!!!
बहुत ही सुन्दर कविता है । प्रेम की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति दिल को छू रही है । प्रेम सचमुच ही
अद्भुत अनुभूति है । इस गंगा में अवगाहन करने के लिए बधाई ।
अच्छी शब्द-योजना
अच्छी कविता है।
बहुत सुन्दर रचना है डॉक्टर साहब...
ये पन्क्तियाँ ज्यादा पसंद आई...
कोहरा ओढ़े तेरी यादों की
सपनों मे रहा दिन भर.
सुनीता(शानू)
Har do kadam par
Darkhato si tum..
Dhundli num hawa ki, Chadar odhey....
.........Doc giri,WOW!!!It touched my heart....BAHOT HI KHOOB LIKHA HAI....
,,,,,,,,KYA KHOOB HAI,,,,,,,,,,,,,,,
I liked a lot the feel in the poem...
One of most positive creation by u,
काव्य की संवेदना को स्पर्श करती इतनी प्यारी रचनायें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। छान्द्मुक्त होने के बावजूद इनकी संवेदी लयात्मकता ह्रदय को स्पर्श करती कैन
साधु वाद
u write wonderful poetries...nice to read all of them...keep up the work....
acchi hai...
the best best thing was the co-relation between memories and surrounding.
one can really feel u...........gud going!!
Is kavita ko padh ke Dipti Naval ki Lamha Lamha yaad aayi... kuch aisa hi flow hota hai Dipti ka bhi... "Sard tanhaayee ki raat aur koi der tak chalta raha, yaadon ki bukkal odhe"
Sundar hai apki kavita.
yado ki kashti me sawar sab ha,yaden aviram sath sath chalti ha... bahut khoob
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