Sunday, December 9, 2007

"खुदा है कहाँ ?"

ये चंद एक पंक्तियाँ है , जो मैंने त्रिवेणी community पर लिखी थी .....

1.सारी रात आसमाँ पर चलते रहे,
बेशुमार सितारों से मिलते रहे ,

खुदा फिर भी ना मिला।

2.इतनी बेरहमी,बेशर्मी,कत्ले-आम ,
कैसे करे खुदा तेरा एहतराम;

तमाशा क्यों करे है सरे-आम।

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