अंतहीन थी निराशा
घुप्प अँधेरे का जाल,
नीरवता से कहता रहा
दिल का हाल
जुगनू पकड़ता रहा
सारी रात.
व्यथा को सुलगाते
आँखों को बहलाते ,
अगले ही पल
वो खो जाते .
उनकी उष्मा बटोरती
ओस से गीली
मेरी साँस ,
सुबह तक रहा
उन जुगनुओं का साथ ,
पकती रही
एक रोशनी की आस .
Wednesday, March 12, 2008
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34 comments:
बहुत बढ़िया डॉ. साहब !!...इस एक रोशनी कि आस का तो सभी को सहारा होता है.
UR POEM HAS FLOW BUT IN SOME PARTS IT IS LACKING EMOTIONS
BEST OF LUCK
नीरवता से कहता रहा
दिल का हाल
जुगनू पकड़ता रहा
सारी रात.
roshani ki aas bahut sunadar kavita hai
regards
Itni badhiya kavita hai ki mere paas shabd nahi hain...bahot hi touching hai, bahot hi sundar...andar tak chhu jane wali...
जब तक आस है
कहाँ कौन उदास है?
:)
गिरी जी ''पकती रही एक रोशनी की आस'' बेहद खूब सूरत कविता है ...... और ''जुगनू पकड़ता रहा सारी रात''.........शानदार पंक्ति है.... वास्तव में मैं भी कुछ देर तक कल्पना की दुनिया मैं सैर करता रहा ........... बेहद अच्छी रचना के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं...........बधाई ...
''सुबह तक रहा
उन जुगनुओं का साथ ,
पकती रही
एक रोशनी की आस .''
no matter what we do and try..hope never leaves us...or we never leave hope..
nice doc..too good..
bahut achhi kavita hain janab...
badahai
पकती रही एक रोशनी की आस "
"व्यथा को सुलगाते
आँखों को बहलाते ,
अगले ही पल
वो खो जाते ."
वाक़ई....नाज़ुक ख़याल है जी
आपने मधुमास को मदिर बना दिया बधाइयां
dr. sahab
aapki poem bahut pasand aayi bahut ghahrayi aor dilko choo jaye aisi likhi hai.
badhai ho doctor saheb ! :-) apne badi khoobsurati se man ki aas ko kaagaz per utara hai jugnu wala prateek na sirf sateek hai balki pyara bhi hai mujhey apki kavita behad achhi lagi .
namrata
bahut achee lagee aap kee kavita shubh kamanayen hain
Anil masoomshayer
A very nice poem, showing the state of ur heart in the hopes of gud things. And i have learned from a frnd few days back only tht HOPE is sumthing which can make a dying person survive.
A very good depiction of sadness and hopes. I liked it a lot. I HOPE I CAN WRITE SUMTHING LIKE THT IN FUTURE...
उनकी उष्मा बटोरती
ओस से गीली
मेरी साँस
..गहरी भावाभिव्यंजना का वाहक बनी हैं..ये पंक्तियां..
ek imaandar kavita----sundar !
व्यथा को सुलगाते
आँखों को बहलाते ,
अगले ही पल
वो खो जाते .
बहुत सुंदर लिखी है आपने
अंतहीन निराशा में एक रौशनी की आस
बन जाती है जीने का सबब
और ज़िन्दगी के मायने बदल जाती है.......
बहुत सुन्दर
खूबसूरती से लिखी गयी एक सकारात्मक कविता, बधाई |
really good..!
it touches my emotion..
jugnuon ke roshni ...acchi thi..
par lagta hai ab bhi kuch kahi chuta hai...vyaktigat zindgai me..
neway awesome//!
good one
keep it up
bhut dino baad apki nayi kavita padhneyko mili ......
sunder abhivaykti...ek nayi roshni ke aas ka panpna...
नीरवता से कहता रहा
दिल का हाल
जुगनू पकड़ता रहा
सारी रात.
bahut acchi panktiyan lagi dr shahb.........bahut acche,.... likhte rahiye.......yun hi.......
उनकी उष्मा बटोरती
ओस से गीली
मेरी साँस ,
एक रोशनी की आस .
बहुत सुंदर ....
गिरी जी !
शुभकामनाएं....
बधाई ..
achche bimb hain,
sundar kavita.
vyatha ko sulgate
ankhon ko bahlate
agle hi pal
wo kho kho jaate
....bahut khoob Dr Giri.Kavita ki jaan hain ye panktiyan aisa mera vyaktigat khyal hai.Keep going.
Atul Garg
bahut sunder ....yunhi likhte raho....i just loved reading it..
bahut khoob.....
bahut sundar rachna hai
aapki ye rachana bhut hi badhiya hai. sach me bhut sundar.
सुबह तक रहा
उन जुगनुओं का साथ ,
पकती रही
एक रोशनी की आस .
इन पंक्तियों में रचनाकार के भावः साफ़ झलक रहे है,
सुबह तक अपनी कल्पनाओ का साथ रहा, एक रौशनी की उम्मीद को ले कर
पर उम्मीद में भी एक निराशा होती है, क्यूंकि मन ये जनता है कि जो आस है वो पूरी नहीं होगी,
पर फिर भी न जाने कोन सी आस...............
कल्पनाओ के पूरे होने की आस.................
बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण..........
सुबह तक रहा
उन जुगनुओं का साथ ,
पकती रही
एक रोशनी की आस .
इन पंक्तियों में रचनाकार के भावः साफ़ झलक रहे है,
सुबह तक अपनी कल्पनाओ का साथ रहा, एक रौशनी की उम्मीद को ले कर
पर उम्मीद में भी एक निराशा होती है, क्यूंकि मन ये जनता है कि जो आस है वो पूरी नहीं होगी,
पर फिर भी न जाने कोन सी आस...............
कल्पनाओ के पूरे होने की आस.................
बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण..........
aathi sundar.....
keep it up
it's a beautiful piece of art...i loved it...i found it quite near my heart...as if i wasn't reading but things were happening...in this way....
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